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सूत्र
हिमपात
हुजूम

संकलन में-
गुच्छे भर अमलतास-
हवाई

  अतीत का अंधेरा

और उदास हो जाता है वर्तमान
जब अतीत भावी पर हावी हो जाता है

गुज़रा हुआ विस्मृत बन कर
जो लौट चुका था
भावी का प्रतीक बन कर स्थापित हो जाता है

आस्थाओं की भूमि पर
गढ़ों से निकले बरसाती
कीड़ों की तरह
भूले हुए दर्द भरे हुए घाव
फिर से बिसूर पड़ते हैं
छा देते हैं, कामनाओं का संसार

और दूभर हो जाता है जीना
जब जीने के सारे हथियार
आकांक्षाओं के जंग से
जख्म़ी और कुड़े हो जाते हैं
भविष्य पर चढ़ आता है
अतीत का अंधेरा

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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