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डा शैल रस्तोगी

जन्म : १ सितंबर १९२७ को मेरठ में।

शिक्षा :
एम ए (आगरा विश्वविद्यालय), पीएच डी (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय) डॉ हजारीप्रसाद द्विवेदी के निर्देशन में।

कार्यक्षेत्र :
रघुनाथ गर्ल्स महाविद्यालय, मेरठ (उ प्र ) में ३४ वर्षों तक अध्यापन के पश्चात ससम्मान अवकाश प्राप्त। अब पूरी तन्मयता से स्वतंत्र लेखन। मुख्यत: 'गीत एवं हाइकु'। यों मुक्तछंद-काव्य, दोहा, लघुकथा, कहानी, एकांकी, आलोचना इत्यादि प्राय: सभी विधाओं में भी पर्याप्त लेखन।

प्रकाशित कृतियाँ :
एकांकी-संग्रह 'एक जिंदगी बनजारा' (उत्तर प्रदेश के राज्य पुरस्कार से सम्मानित), 'बिना रंगों के इंद्रधनुष' और 'सावधान सासूजी!'।
गीत संग्रह : 'पराग', 'जंग लगे दर्पण', 'मन हुए हैं कांच के' और 'धूप लिखे आखर'। 'चांदनी धरती पालागन' (प्रेस में)
हाइकु संग्रह : 'प्रतिबिंबित तुम', 'सन्नाटा खिंचे दिन', 'दु:ख तो पाहुन हैं', 'बांसुरी है तुम्हारी' और 'अक्षर हीरे मोती'।

 

अनुभूति में डा शैल रस्तोगी की
रचनाएँ -
हाइकु में-
बारह हाइकु

संकलन में-
फागुन के रंग-बसंती दोहे



 

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