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अनुभूति में ऋषभदेव शर्मा की रचनाएँ-

क्षणिकाओं में-
बहरापन (पाँच क्षणिकाएँ)

छंदमुक्त में-
दुआ
मैं झूठ हूँ
सूँ साँ माणस गंध

तेवरियों में-
रोटी दस तेवरिया
लोकतंत्र दस तेवरियाँ

  दुआ

ओ पिता!

जब जब जन्म दो मुझे
तो भले ही विस्तार न देना,
या भले ही गहराई न देना,
पर देना अवश्य
चुल्लू भर मीठा पानी

जिसमें कम से कम एक बार
अपनी चोंच डुबोकर
तृप्त हो सके
कोई तो एक नन्ही-सी चिड़िया

और कृतार्थ कर सके
मेरे अस्तित्व को हर बार
तब
जब प्यासी लौटकर आए
विस्तीर्ण और अगाध
समुद्र की यात्रा से हाँफती हुई!!

आमीन!!! एवमस्तु!!!

दिसंबर २००८

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