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अनुभूति में ऋचा अग्रवाल की रचनाएँ-

छंद मुक्त में-
उम्मीद की रोशनी तुम
बातें
वो बारिश की बूँदें
शब्द
स्त्री

 

स्त्री

वो ममतामयी है, करुणामयी है
है वो अथाह प्रेम की बहती कोई नदी सी
उसमें धैर्य है, शांति है,
चाँद सी शीतलता भी
वो सहनशील है, क्षमाशील है
और अग्नि की धधकती ज्वाला भी
उसमें रूप है, रंग है,
चरित्र है और मर्यादा भी
वो अटल है, निडर है,
है वो अडिग कोई मजबूत चट्टान सी

कहते हैं इस सृष्टि में
भगवान की सबसे अद्भुत रचना है
वो और सबसे सुन्दर भी
वो 'स्त्री' है जिसे गढ़ा गया है कई रूप में
और अपने किसी भी रूप में
वो 'अबला' नहीं है
जिसे उपेक्षित या तिरस्कृत किया जाये
अपितु स्त्री परिपूर्ण है खुद को विलीन कर
दूसरों को सम्पूर्ण करने में।

१ अप्रैल २०२१

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