| ` | नंगे पाँव 
                  दर्द भरे रेगिस्तान मेंनंगे पाँव के निशान दिखायी दिये
 तो लगा कि जीवन यहीं है, यहीं कहीं है।
 सहसा जब उन निशानों पर अपने पाँव पड़े
 तो पता चला कि वह मेरे ही पाँव के ठहराव थे
 ज़िन्दगी इसी मरुभूमि से तो पहले भी गुज़री थी
 तो क्या यह ठहराव था या फिर मेरा जीवन
 उन्हीं वीथियों में अभी भी भटक रहा है
 जहाँ रेगिस्तान में सिर्फ़ तपते हुए नंगे
 पाँव के निशान हैं।
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