अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में गोपाल कृष्ण आकुल की रचनाएँ-

दोहों में-
अतिथि 

छंदमुक्त में-
झोंपड़ पट्टी

  अतिथि 

घर आए जब भी अतिथि, देना ये सुख चार ।
आसन, जल, वाणी मधुर, यथाशक्ति आहार ।।- हंस दोहा

समझ अतिथि देवोभव:, देख सदैव  प्रभाव ।
स्‍वागत अरु सत्‍कार से, बनता नम्र स्‍वभाव ।।- गयंद दोहा

अतिथि सदा परिवार की, रखता है पहचान ।
जाने कब किस मोड़ पर, बन जाए भगवान ।।- पयोधर दोहा

अतिथि और रिश्‍ते सदा, देखें प्रेम स्‍वभाव ।
नहीं नम्रता के बिना, दिखता है सद्भाव ।।- मर्कट दोहा

अतिथि रहो बस चार दिन, फिर कैसा सत्‍कार । 
ब्याह बाद बारात से, ज्‍यों रूखा व्‍यवहार ।।- नर दोहा

१ फरवरी २०२४

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter