अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

डा. रीता हजेला 'आराधना'

थोड़े में बहुत कहना कविता की खासियत है अतः अभिव्यक्ति का यही माध्यम मुझे ख़ास पसंद है। जन्म व शिक्षा इलाहाबाद में हुए। व्यवसाय से मैं बालरोग विशेषज्ञ हूँ। समय–समय पर पत्र पत्रिकाओं में कविताएँ प्रकाशित होती रही हैं।
 
व्यावसायिक एवं पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के बीच यह शौक छूट जाता रहा है मगर अब पिछले कुछ समय से लगातार कायम है। सामयिक विषयों व बच्चों के लिये लेखन में विशेष रूचि है।


 

 

अनुभूति में डा. रीता हजेला 'आराधना' की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
अपनी ज़िन्दग़ानी
आकृति
इतवार
चबाने लगे हैं प्लेट
चिठ्ठी
जिन्दग़ी झूठ क्यों बोलती हो
तितली
डबल रोल
पगडन्डी
पारी आधी आधी
पुलिस ही पुलिस
बासा दिन
मिट्टी का दिया
यकायक
यादें
हाय रे मोटापा
युधिष्ठिर
साकार
सुर्खियों का फर्क
सार्थकता

छोटी कविताओं में-
आचार
जमानत
फुटपाथ

हाइकू में-
उनका प्यार

संकलन में-
जग का मेला–जेबखर्च

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter