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अनुभूति में निशेष जार तृषित की रचनाएँ-

अंजुमन में-
उजले मुखड़े
कुहासा हो रहा
घर की मोटी चिड़िया
प्यार से दुश्मनी
बात पुरानी है

 

बात पुरानी है

सच ही बात पुरानी है
जीवन बहता पानी है

मुँह खोलो तो प्यार कहो
बाकी सब नादानी है

कुछ आँसू औ टूटा दिल
अपनी राम कहानी है

खून एक है हम सब का
लड़ते क्यों हैरानी है

कण कण में है राम रमा
दुनिया आनी जानी है

१ फरवरी २०२३

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