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अनुभूति में अनामिका सिंह की रचनाएँ-

गीतों में-
अनुसंधान चरित पर तेरे
अम्मा की सुध आई
चिरैया बचकर रहना
नाखून सत्ता के
राजा बाँधे शगुन कलीरे
 

अंजुमन में-
कसक उनके दिल में
चलो दोनों चलें
दिल में दुआएँ थीं
रोग है पैसा कमाना
ये सोचना बेकार है

 

दिल में दुआएँ थीं

दिल में दुआएँ थीं जो उन पर निसार आए
उठ्ठे नहीं कि दर से आँसू हज़ार आये

शीशा हमारे दिल का है चूर चूर देखो
चाहा न था कभी के इसमें दरार आये

वो सो रहे हैं देखो ताने बदन पे चादर
हमको भी नींद ऐसी रब एक बार आये

मौला नहीं जहां में साथी मिले मुताबिक़
हम अपनी जिंदगानी यूँ ही गुजार आये

ख़्वाबों में एक बोसा हौले से दे सनम को
नजरें बुरी लगीं जो सारी उतार आये

माटी सने मुखौटे देती थी माँ निवाला
दिन ज़ीस्त में वही फिर रब एक बार आये

मुझको मिले जज़ा गर मेरे करम की मौला
हो जिक्र तब सनम का चैन-ओ-करार आये

१ नवंबर २०१९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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