पत्र व्यवहार का पता

अभिव्यक्ति तुक-कोश

१. ६. २०२१

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कुण्डलिया हाइकु अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर नवगीत की पाठशाला रचनाकारों से

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स्वच्छ हुआ आकाश

 

 

धरती स्वच्छ हुई सारी
स्वच्छ हुआ आकाश

कोरोना संकट के कारण
लोग घरों में बंद
मोटर, गाड़ी उद्योगों से
हुआ प्रदूषण मंद
धुआँ निकलना बंद हुआ तो
निर्मल सूर्य प्रकाश

स्वच्छ हुआ पानी नदियों का
खुश हैं सब जल-जीव
डॉल्फिन के सपनों का दरिया
सुन्दर हुआ अतीव
निर्मल जल की धारा बहती
जीने की ले आश

वृक्षों ने चमकाए अपने
हरित भरित परिधान
चिड़ियों ने भी शुरू किया है
फिर से कलरव गान
ठीक हुआ ओजोन परत अब
होगा नहीं विनाश

पर्वत और पठार मगन हैं
खुश मैदानी भाग
उम्र बढ़ी है सबकी जैसे
भाग्य गया है जाग
प्रमुदित पर्यावरण हुआ है
कोई नहीं हताश

- कैलाश झा किंकर

इस माह
कोरोना विशेषांक के अंतर्गत

गीतों में-

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अनुराग तिवारी

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अवनीश सिंह चौहान

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उमेश मौर्य

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ओम धीरज

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ओमप्रकाश तिवारी

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कैलाश झा किंकर

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गणेश गंभीर

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नचिकेता

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पुष्पलता शर्मा

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पूर्णिमा वर्मन

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मंजूषा मन

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मधुकर अष्ठाना

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मृदुल शर्मा

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यश मालवीय

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योगेन्द्र वर्मा व्योम

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रंजन कुमार झा

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रवि खण्डेलवाल

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शरद तैलंग

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शशि पाधा

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सीमा हरिशर्मा

अंजुमन में-

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कुंतल श्रीवास्तव

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मनजीत शर्मा मीरा

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विश्वंभर शुक्ल

कुंडलिया में-

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परमजीत कौर रीत

दोहों में-

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शशिकांत गीते

हाइकु में-

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सुभाषचंद्र लखेड़ा

माहिया में-

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सुधा सिंह व्याघ्र

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन