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अभिव्यक्ति  

१९. ४. २०१०

अंजुमन उपहार काव्य संगमगीत गौरव ग्रामगौरवग्रंथ दोहे पुराने अंक संकलनहाइकु
अभिव्यक्ति हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँदिशांतरनवगीत की पाठशाला

1
अपने सपने

  अपने
सपने कर नीलाम
औरों के कुछ आएँ काम
1
तजें
अयोध्या अपने हित की
गहें राह चुप सबके हित की
लोक हितों की कैकेयी अनुकूल
न अब हो वाम
1
लोक-
नीति की रामदुलारी
परित्यक्ता जनमत की मारी
वैश्वीकरण रजक मतिहीन
बने-बिगाड़े काम
1
जनमत-
बेपेंदी का लोटा
सत्य-समझ का हरदम टोटा
मन न देखता देख रहा है
'सलिल' चमकता चाम...

--संजीव सलिल

इस सप्ताह

गीतों में-

अंजुमन में-

छंदमुक्त में-

दोहों में-

पुनर्पाठ में-

पिछले सप्ताह
१२ अप्रैल २०१० के अंक में

गीतों में-
रावेन्द्रकुमार रवि

अंजुमन में-
प्रेमचंद सहजवाला

छंदमुक्त में-
मुकेश जैन

मुक्तक में-
हेमन्त स्नेही

पुनर्पाठ में-
डॉ. प्रेम जनमेजय

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|- सहयोग : दीपिका जोशी
   
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