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पानी बरसा सूने रस्ते
खेल रहे दो बच्चे
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खुली सड़क पर दौड़ रहे
हैं
ढेरों खुशियाँ जोड़ रहे
हैं
छप्पक छप्पक पानी की वे
फुलझड़ियाँ सी छोड़ रहे हैं
मस्ती में
डूबे हैं रस्ते
खेल रहे दो बच्चे
.
सुलभ सुरक्षा के बाने
है
हाथों में छाते ताने हैं
देखो आती कार है पीछे
लेकिन दोनो, अनजाने हैं
सावधान कर
देंगे रस्ते
खेल रहे दो बच्चे
.
धुले पेड़ सब हरियाली है
हवा शुद्ध है मतवाली है
तारों में बूँदें अटकी हैं
बाकी सड़कों पर छिटकी हैं
नहा नहाकर
गीले रस्ते
खेल रहे दो बच्चे
.
मौसम है कौतुक मनमाना
जी भर इसको जी कर जाना
साथ साथ बहती धारा में
कागज की इक नाव बहाना
बचपन याद
कर रहे रस्ते
खेल रहे दो बच्चे
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- पूर्णिमा वर्मन |