आज धूप भटक गई
सेमल के गाँव में।
अनियारे नयनों की
अनबोली चितवन-सी
साँसों में लाज भरी
खोई-सी पुलकन-सी।
आज आँख अटक गई
असुवन की छाँव में।
घर आए पाहुन-सा
मौसम नखरीला
नयनों के पानी से
घर आँगन गीला
किसकी यह सुधि आई
ठोकर-सी पाँव में।
साँसों की टहनी पर
यादों के फूल-सी
अल्हड़ किशोरी की
छोटी-सी भूल-सी
आज साँस भटक गई
पथरीली ठाँव में
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