वसंती हवा

 फूलों पे यौवन है
- ममता किरण  

 

फूलों पे यौवन हैं, भौंरों का गुंजन है
मौसम के द्वार पर दस्तक ये किसकी है

मैं हूँ वासंती हवा छोड़ो ये कामकाज
मन के किवाड़ खोल छेड़ो कुछ मधुर साज
रूप को सँवार लो गीतों का दरपन है
मौसम के द्वार पर दस्तक ये किसकी है

रंगों के आसपास अजब ये नज़ारा है
प्रकृति ने धरती पे स्वर्ग को उतारा है
इसको सहेज लो जीवन का आँगन है
मौसम के द्वार पर दस्तक ये किसकी है

भीनी सुगंध कुछ दिन को आती है
धूप भरे जीवन में छाँव दे जाती है
उलझन को छोड़ दो खुशियों का मधुबन है
मौसम के द्वार पर दस्तक ये किसकी है

९ फरवरी २००९

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