सुन ले सखि
सुन ले सखी फिर आया वसंत
सबके मानस पर छाया वसंत
आया वसंत पूज लें देवी सरस्वती
चंदन टीका माथे जला अगरबत्ती
वसंत पंचमी की है मीठी पहचान
पीली सरसों पहनें पीले परिधान
मदमस्त करती यही ऋतु निराली
मौसम की मनमस्त रचें कव्वाली
आमों पर भी सज गया है बौर
कोयल कूक रही अब चारों ओर
मौसम की सजती यही मनुहार
वसंत पंचमी का आया त्योहार
अविनाश वाचस्पति
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मौसम बसंती
मौसम बसंती
राग मधुवंती
मदमाती बयार
हवा में प्यार
पीली-पीली सरसों
मन में कल, परसों
हिरदय में हूक
कोयल की कूक
पुलकित अंग अंग
खिलते सब रंग
मन में कुछ प्यास
पिया की आस
फागुन के गीत
गोरी की प्रीत
हरियाली छाँव
कान्हा का गाँव
आशा जोगलेकर
११ फरवरी २००८ |