अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

शुभ दीपावली

अनुभूति पर दीपावली कविताओं की तीसरा संग्रह
पहला संग्रह
ज्योति पर्व
दूसरा संग्रह दिए जलाओ

सबको बहुत बधाई रे

फिर दीपावली आई रे! सबको बहुत बधाई रे!

ढेर खिलौने हम लाएँगे, खील-बताशे सब खाएँगे,
सड़ी मिठाई तौबा-तौबा! घर में पकवान बनाएँगे!

दीपावली खुशबू लाई है, सबको बहुत बधाई है।

 

घर-घर को चमकाएँगे, हर जगह दीप जलाएँगे,
शोर-शराबा तौबा-तौबा! हम पटाखे नहीं छुड़ाएँगे।

दीपावली रोशनी लाई है। सबको बहुत बधाई है।

 

फल-मेवे आज मँगाएँगे, मित्रों को खूब खिलाएँगे,
चॉकलेट से तौबा-तौबा! फलों से स्वास्थ्य बनाएँगे।

अब बात समझ में आई है, सब को बहुत बधाई है।

सीताराम गुप्त
२० अक्तूबर २००८

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter