फिर दीपावली आई रे! सबको बहुत बधाई
रे!
ढेर खिलौने हम लाएँगे, खील-बताशे
सब खाएँगे,
सड़ी मिठाई तौबा-तौबा! घर में पकवान बनाएँगे!
दीपावली खुशबू लाई है, सबको बहुत
बधाई है।
घर-घर को चमकाएँगे, हर जगह दीप
जलाएँगे,
शोर-शराबा तौबा-तौबा! हम पटाखे नहीं छुड़ाएँगे।
दीपावली रोशनी लाई है। सबको बहुत
बधाई है।
फल-मेवे आज मँगाएँगे, मित्रों को
खूब खिलाएँगे,
चॉकलेट से तौबा-तौबा! फलों से स्वास्थ्य बनाएँगे।
अब बात समझ में आई है, सब को बहुत
बधाई है।
सीताराम गुप्त
२० अक्तूबर २००८
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