दीपावली नाम है प्रकाश का
रौशनी का खुशी का उल्लास का
दीपावली पर्व है उमंग का प्यार का
दीपावली नाम है उपहार का
दीवाली पर हम खुशियाँ मनाते हैं
दीप जलाते नाचते गाते हैं
पर प्रतीकों को भूल जाते हैं?
दीप जला कर अंधकार भगाते हैं
किंतु दिलों में -
नफ़रत की दीवार बनाते हैं?
मिटाना ही है तो -
मन का अंधकार मिटाओ
जलाना ही है तो -
नफ़रत की दीवार जलाओ
बनाना ही है तो -
किसी का जीवन बनाओ
छुड़ाने ही हैं तो -
खुशियों की फुलझड़ियाँ छुड़ाओ
प्रेम सौहार्द और ममता की
मिठाइयाँ बनाओ।
यदि इतना भर कर सको आलि
तो खुल कर मनाओ दीपावली।
-शोभा महेंद्रू
1 नवंबर 2007
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