आलिंगन कर आँधी का
तूफ़ानों को बाहों में भर ले
ओ नन्हें माटी के दीपक
सागर को पलकों में धर ले।
तेरे लिए नहीं आँचल की
ओट आसरा देने वाली,
ताल ठोकती लड़ने आई
तुझसे आज अमावस काली
जलता चल अँधियारों में
मद्धम प्रकाश का धीमा स्वर ले।
माना अँधियारों ने तुझ पर
बारंबार प्रहार किए हैं
इसीलिए तो हमने लाखों
सूरज तुझ पर वार दिए हैं
ले मेरे संघर्षों की धरती
अरमानों का अंबर ले।
-डॉ. सरिता शर्मा
16 अक्तूबर 2006
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