दीपावली
(मुक्तक)
सत्य, शिव, सुंदर का अनुसन्धान है
दीपावली.
सत-चित-आनंद का अनुगान है दीपावली
प्रकृति-पर्यावरण के अनुकूल जीवन जी
'सलिल'-
मनुजता को समर्पित विज्ञान है दीपावली
परिवार-राष्ट्र-विश्व पर अभिमान है
दीपावली.
प्रार्थना, प्रेयर, सबद, अजान है
दीपावली
धर्म का है मर्म निरासक्त कर्म ही
'सलिल'-
लगन, निष्ठा, परिश्रम का मान है
दीपावली
पुरुषार्थ को परमार्थ की पहचान है
दीपावली
नयन में पलता हसीं अरमान है दीपावली
आन-बान-शान से जीवन जिएँ निश-दिन
'सलिल'-
असत पर शुभ सत्य का जयगान है दीपावली
निस्वार्थ सेवा का सतत अभियान है
दीपावली
तृषित अधरों की मधुर मुस्कान है
दीपावली
तराश कर कंकर को शंकर जो बनाते हैं
'सलिल'-
वही सृजन-शक्तिमय इंसान है दीपावली
सर्व सुख के लिए निज बलिदान है
दीपावली
आस्था-विश्वास है ईमान है दीपावली
तूफ़ान में संघर्ष कर, तम् से जो जीतता
'सलिल'-
उसी मृण्मय दीप का जय-गान है दीपावली
गीत, कविता, गजल का दीवान है दीपावली
दिल की दिल से निकटता -पहचान है
दीपावली
समय पुस्तक, श्रम कलम-हस्ताक्षर
निर्मल 'सलिल'-
आसमय आभास है, निश्वास है दीपावली
—आचार्य संजीव सलिल
२७ अक्तूबर २००८ |
|
|
|