जहाँ अँधेरा मिलेगा यकीन है मुझको
वही पे दीप जलेगा यकीन है मुझको
गम़ों के दौर में गम़ को बता दिया मैंने
सुकूने दिल भी मिलेगा यकीन है मुझको
अमन के बाग में कांटे बिछा रहा कोई
उन्हीं में फूल खिलेगा यकीन है मुझको
उदास रात को दीपक जला के रखता हूँ
जो खो गया है मिलेगा यकीन है मुझको
दीया जलाने की बारी अभी जो आई है
गली-गली में जलेगा यकीन है मुझको
वफ़ा की राह पे 'घायल' कोई चले ना चले
वफ़ा का फूल खिलेगा यकीन है मुझको
-राजेंद्र पासवान 'घायल'
16 अक्तूबर 2006
|