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शुभ दीपावली

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दीवाली बन जाएगी

वो कोई भी हो रात सजन
वो दीवाली बन जाएगी।

जिस रात नयन के दीवट में,
भावों का तेल भरा होगा,
आँसूँ की लौ दिप-दिप कर के,
सारी रजनी दमकाएगी,

तुम दीप मालिका बन कर के
जब लौटोगे इस मावस में,
वो कोई भी हो रात सजन
वो दीवाली बन जाएगी।

आँखों के आगे तुम होगे,
तन-मन में इक सिहरन होगी,
मेरी उस पल की गतिविधियाँ,
क्या फूलझड़ी से कम होगी?
तेरी बाहों में आने को,
इकदम बढ़ कर रुक जाऊँगी,

मै दीपशिखा बन कर साजन
बस मचल मचल रह जाऊँगी।
वाणी तो बोल न पाएगी,
आँखें वाणी बन जाएगी।

वो कोई भी हो रात सजन
वो दीवाली बन जाएगी।
तुम एक राम बन कर आओ,
मैं पूर्ण अयोध्या बन जाऊँ,

तुम अगर अमावस रात बनो,
मै दीपमालिका बन जाऊँ,
तुमको आँखों से देखूँ मै,
मेरा श्री पूजन हो जाए,

हर अश्रु आचमन हो जाए,
हर भाव समर्पण हो जाए।
लेकिन तुम बिन पूनम भी
तो मावस काली बन जाएगी!
 

कंचन चौहान
२७ अक्तूबर २००८

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