चंदन की गंध द्युति दमके कुंदन की-सी
कोमलता कंज की-सी कुंद-सी लुनाई हो।
जिया में हिया में दिया-दिया में जली हो ज्योति
अमा की निशा में यों रमा की पहुनाई हो।
चौक-चौक चकाचौंध चारु घर द्वार दिशा
पिया ने तिया की रमणीयता रमाई हो।
शुभ संकल्प लिए प्रमुदित हो राव-रंक
"विकल" समाज में प्रबुद्ध प्रभुताई हो।।
-जगदीश प्रसाद सारस्वत 'विकल तैयब'
16 अक्तूबर 2006
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