दिये जलाओ करो रोशनी,
आई सुरभि दीवाली।
ज्ञान की ज्योति जला मन-,
कर लो अँधकार से खाली।।
कहते हैं सच्चे मन से,
जो लक्ष्मी पूजा करते हैं।
पूरे हों संकल्प उन्हीं के,
लंबोदर भी उनके हैं।।
पार लगाएँ बेड़ा भव में,
जग उपवन के माली,
ज्ञान की ज्योति जला मन-,
कर लो अँधकार से खाली।।
हँसते खिलते मन आँगन में,
खुशियाँ करें सवारी,
नयी रोशनी रहे हमेशा,
कुंठाओं पर भारी।
सुख संतोष समाएँ सबमें,
हो प्रकाश की लाली,
ज्ञान की ज्योति जला मन-,
कर लो अँधकार से खाली।।
-डॉ सुरेश प्रकाश शुक्ल
16 अक्तूबर 2006
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