तिमिर का नाश हो जाए
सत की रोशनी बनी रहे
हर तन पे वस्त्र हो
हर सर पे छप्पर
छिपे प्यास सब की
भूखा कोई ना रहे
मिले काम सब को
पसीने की कमाई बने
कम हो तो दुख ना करे
ज़्यादा हो तो गर्व ना करे
बाढ़ आए धरती कंपे
मानव मानव को साथ दे
द्वेष राग भेद मिटे
भाईचारा बना रहे
आशा बनी रहे
उमंग सदा साथ रहे
दिये जले तो ऐसे जले
सत की रोशनी बनी रहे
-अश्विन गांधी
1 नवंबर 2006
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