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शुभ दीपावली

अनुभूति पर दीपावली कविताओं की तीसरा संग्रह
पहला संग्रह
ज्योति पर्व
दूसरा संग्रह दिए जलाओ

दिये जलें तो ऐसे जलें

तिमिर का नाश हो जाए
सत की रोशनी बनी रहे

हर तन पे वस्त्र हो
हर सर पे छप्पर

छिपे प्यास सब की
भूखा कोई ना रहे

मिले काम सब को
पसीने की कमाई बने

कम हो तो दुख ना करे
ज़्यादा हो तो गर्व ना करे

बाढ़ आए धरती कंपे
मानव मानव को साथ दे

द्वेष राग भेद मिटे
भाईचारा बना रहे

आशा बनी रहे
उमंग सदा साथ रहे

दिये जले तो ऐसे जले
सत की रोशनी बनी रहे

-अश्विन गांधी
1 नवंबर 2006

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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