दीप जलेंगे, थाल सजेंगे,
मंगल कलश, अलंकृत होगा।
गीत बजेंगे, मधुर, मनोरम,
जग सारा, झूमेगा।
फुलझड़ियों की चिंगारी से,
हर आँगन दमकेगा।
आएँगे प्रभु, आँगन-आँगन,
जीवन वन चहकेगा।
मेरी इच्छा है, प्रभु आना,
तो, सपनों से मुझे जगाना।
ज्योति पर्व दीवाली का, सबको,
मंगलमय हो आना।
-राजेश कुमार सिंह
1 नवंबर 2006
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