दीप से दीप जलाएँ।
आओ दीप से दीप जलाएँ।
प्रीत से प्रीत बढ़ाएँ।
आओ प्रीत से प्रीत बढ़ाएँ।
घर आँगन का।
मन प्रांगण का।
हर कोना जगमगाएँ।
दीप से दीप जलाएँ।
आओ दीप से दीप जलाएं।
ढोल धमाके
धूम धड़ाके।
मिलकर शोर मचाएँ।
दीप से दीप जलाएँ।
आओ दीप से दीप जलाएँ।
फुलझड़ियों से
और लड़ियों से
सतरंगी छटा बनाएँ।
दीप से दीप जलाएँ।
आओ दीप से दीप जलाएँ।
आपदाओं से झुलसे चेहरे।
हर पल पर काली रात के पहरे।
आओ मिलकर दूर हटाएँ।
दीप से दीप जलाएँ।
आओ दीप से दीप जलाएँ।
रौशन हो हर चेहरा।
फिर से हर गुलशन महकाएँ।
फिर एक उम्मीद जगाएँ।
आओ फिर एक दीप जलाएँ।
-गौरव ग्रोवर
1 नवंबर 2006
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