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शुभ दीपावली

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अब की बार दीवाली में

ममता, समता, मानवता का,
हर मन में पुष्प खिलाएँगे।

शुद्ध करमों के बल पर,
हम जीवन श्रेष्ठ बनाएँगे।

दुष्ट आचरण की चेष्टा,
है घोर पाप यह सोच ह्रदय।

नैतिकता के रास्ते चलकर,
हम धन, वैभव, यश पाएँगे।

भावों के पुष्प खिलाएँगे,
दीपदान की थाली में।

ऐसा कुछ संकल्प करें हम,
अब की बार दीवाली में।

डा. आदित्य शुक्ल
9 नवंबर 2007

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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