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दीपावली महोत्सव
२००४

दिये जलाओ
संकलन

चिराग तले अँधेरा

  मेरे पिताजी का मन मेरे जन्म पर बहुत हर्षाया
सोचा फैलाएगा घर में प्रकाश, मुझे दीपक बुलाया
साधारणतः बच्चे जन्म के बाद रोते हैं, कुलमुलाते हैं
लेकिन हमारे जैसे बच्चे शुरु से ही जलवा दिखाते हैं
तो पिताजी द्वारा दिए
नाम का मान रखने हेतु मैं मुस्काया
पिताजी ने सबसे कहा
देखो बच्चे को भी नाम पसंद आया
दीपक मेरा घर का नाम, मैं दीप अपने घर का
बचपन में मज़े थे, हमेशा छोटा ही रहता तभी बेहतर था
मेधावी दीपक ने दसवीं कक्षा में ही प्रकाश फैलाया
जब बहुत ढ़ूँढ़ने पर भी
अनुक्रमांक अखबार में मिल नहीं पाया
पिताजी ने अपनी अभिव्यक्तियों को मुझ पर वारा
मेरे ही भीगे जूतों से मेरे केशों को सँवारा
मोहल्लेवालों को मैंने कन्हैया बन बहुत सताया
हर घर से
मेरी यशोदा मैया के लिए शिकायत संदेश आया
कहीं भी कुछ गलत हुआ तो समझो
दीपक का नाम प्रकाश में आया
दीपक का त्योहार दीवाली,
मैं दीवाली में बहुत व्यस्त हो जाता था
कभी चोरी, कभी मारपीट
तो कभी जुआँ खेलते फँस जाता था
पिताजी बोले, हर गड़बड़ के पीछे सुपुत्र मेरा होता है
मान जाए आज चिराग तले अँधेरा होता है।

—नीरज त्रिपाठी

दिये जलाओ
संकलन

इधर दीप जलाते तुम

इधर दीप जलाते तुम उधर कोई रोता है
तुम खाओ शाही भोग उधर कोई भूखा सोता है
तुम बने मदमस्त हाथी से वहाँ सिकड़ गई काया
भार ढोया दुनिया का राम मिला न माया
तुम चलाते चक्र, फुलझड़ी, बम और फटाखा
अरबों तुमने फूँक दिए वहाँ हो रहा फांका
भूखा, नंगा अम्बर नीचे खून के आँसू रोता है
तुम मनाओं दीवाली देश दिवालिया होता है

—सत्यवान शर्मा

सौ वर्ष पहले

सौ वर्ष पहले
असत्य पर सत्य की जीत
प्रेम और प्यार का प्रतीक
दीपावली

हर्षो–उल्लास और
दीपशिखा से जग–मग
दीपावली

अमावस की रात
पूर्णिमा से ज्यादा उज्वल
दीपावली

आज की दीपावली
बॉम्ब ही बॉम्ब
संसद हो या अक्षरधाम
दीपावली

गिफ्ट लेना और
गिफ्ट मिठाई देना
दीपावली

अमावस की रात
शोर ही शोर
दीपावली

—संजीव कुमार बब्बर

ज्योति पर्व

ज्योति पर्व में मैं,
दीप उत्सव बालती,
अँगना के द्वारे–द्वारे
दीपक लौ, प्रकाशतीॐ
पवित्र मंगल शुभ प्रसंग
सुमन हर्षित वारती
कंचन थाल, कुमकुम ले,
मैं करती उनकी आरतीॐ
पथ में प्रभु के नयन मेरे,
ध्यान में मन लीन
आ जाते यदि वे आज सम्मुख
चरण राज उनसे, माँगतीॐ
राहुल, धर कर हाथ तेरा,
उन्हीं पर तुमको, वारती
क्यों गए वो दूर मुझसे?
इस का मैं उत्तर माँगतीॐ
शरण हैं हम आपके
हे गौतम, मेरे दुलारे
बुद्ध तुम होंगे सभी को,
यशोधरा तुमको पुकारेॐ

—लावण्या शाह

    

 

 

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