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दीपावली महोत्सव
२००४
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दीवाली नज़दीक है, बदलो घर के रंग
नई पुताई देख कर, उपजे नई उमंग
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हर दीवाली रात को, करें तिमिर का नाश
दीये बत्ती झालरें झिलमिल सब आकाश
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धनतेरस पर हो गये बर्तन महँगे भाव
फिर भी लिए खरीद कुछ, देखा उनका चाव
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हो दीवाली पर्व पर खुशियों का आह्वान
लोग मिठाई बाँटते, इसीलिए कल्यान
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रंगोली से बढ़ रही घर के दर की शान
बच्चे छोड़ें फुलझड़ी खुशियाँ भरा जहान
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पूजा करें गणेश की लक्ष्मी भजें सुजान
यह दीवाली पर्व है सबको दे वरदान
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लक्ष्मी आये द्वार पर दीवाली की रात
स्वागत करिये आप भी सदा नवा कर माथ
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आतिशबाजी से जले, दीवाली पर चार
हो चौकन्ने छोड़िये, पटाखे बम अनार
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शुरू हुआ नव वर्ष है कहते कई जनाब
हर दीवाली बाद वह, देते बदल किताब
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वह सर्वोतम पर्व की पूछें महक सुगन्ध
दीवाली पर लिख दिया हमने उन्हें निबन्ध
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दीवाली को मिला क्यों भारत का सम्मान
वह सदभाव बढ़ा रही सदियों से कल्यान
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सरदार कल्यान सिंह |
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ऐसी हो दीवाली
ऐसी हो दीवाली
टूटे ना ये दीपमालाएँ
कहीं अँधेरा रह ना जाए
धर्म, शान्ति हो जाए विजयी
मन ऐसी
दीपावली मनाएँ
उस जलते दीपक सा
शक्तिमान बन जाऊँ मैं भी
जो कुछ है मेरे जीवन में,
हर किसी को दे पाऊँ मै भी,
ये मेरा सम्पूर्ण जीवन,
ऐसी दीपावली बन जाएँ
टूटे ना ये दीपमालाएँ
कहीं अँधेरा
रह ना जाए
तारामण्डल सी लगती है
दीवाली के दिन ये धरती,
विखर जाती है छटा स्वर्ग सी
मेरी धरती, प्यारी धरती
काश ये खुशियों के पल
धरती पर
बसकर रह जाएँ
टूटे न ये दीपमालाएँ
कहीं अँधेरा
रह ना जाए
—अभय कुमार यादव
किसने कह दिया
यह किसने कह दिया
कि दीया
उजला करता है
दीये की
गोद में धागे का जिगर
जलता है
— गुल देहलवी
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