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दीपावली महोत्सव
२००४

दिये जलाओ
संकलन

फिर घर आँगन दीप जलाओ

 

कर्कश कुटिल कामना त्यागो,
आपस में सद्भाव जगाओ
फिर घर आँगन दीप जलाओ,
हिल मिल दीपावली मनाओ

पहले मन की करो सफाई,
बाँटो मृदु वाणी की मिठाई
मानव धर्म, धर्म है लौकिक,
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई

और न कोई धर्म चलाओ,
हिल मिल दीपावली मनाओ

कर्म कपास की बाती लाओ,
प्रेम पियूष का घृत डलवाओ
एक, एकता का ले दीपक,
अखण्डता की ज्योति जगाओ

झिलमिल दीपावली मनाओ,
हिल मिल दीपावली मनाओ

दीपक चमके अनुपम प्यारा,
आसमान में ज्यों ध्रुव तारा
भारत भाल शिखर पर दमके,
ऐसा हो उद्देश्य हमारा

'सत्य अनोखा देश बनाओ,
हिल मिल दीपावली मनाओ

—सत्य प्रकाश ताम्रकार "सत्य"

दीप बन जलें हम

आओ दीप बन
जले हम
तम को संपूर्ण शक्ति भर
एक हो छले हम
आओ दीप बन
जले हम

श़ृंखला–बद्ध हो
एक कतार में
आँधियों के तीव्र वार में
वृष्टि, तूफानों के संसार में
दर्प अँधियारे का दले हम
आओ दीप बन
जले हम

झोपड़ में
या महलों में
निर्बल में या सबलों में
आत्मा लेकर कर कमलों में
नभ–विद्युत बन चले हम
आओ दीप बन
जले हम

पाप जलेगा
पुण्य मिलेगा
ब्रह्मांड का शून्य मिलेगा
सद्कर्मों का पुण्य मिलेगा
पवित्र श्रम से पले हम
आओ दीप बन
जले हम

उलूक चढकर
देवी लक्ष्मी
आकर देखे रात में रश्मि
मुदित वो फिर कैसी कमी
देवी वर से फूले फले हम
आओ दीप बन
जले हम

—श्याम प्रकाश झा

    

 

 

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