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ज्योति का यह पर्व
ज्योति का यह पर्व
ज्योति का यह पर्व,
युग युग तक सदा चलता रहे।
महापर्व यह दीप शिखाओं का,
उत्सव है जय जीवन का,
सबके मन में प्यार जगे,
उत्साह का यह उत्स
शतशत वर्ष तक बहता रहे।
देश को तुम आयु दो,
धन–धान्य से भरपूर कर दो,
विघ्न–विनाशक तुम्ही विनायक,
भव–बाधा दूर करो,
शुभ–आचार जन मन में,
पल–पल सदा रमता रहे
मन तिमिर में डूब कर,
माँगे सहारा जब कभी,
धैर्य का संकेत देकर,
सर्वदा देना उजाला,
स्नेह का यह दीप
जगमग हो सदा बढ़ता रहे।
दीप का यह पर्व,
युग युग तक सदा चलता रहे।
—उषा वर्मा
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