अनुभूति में
विनय बाजपेयी की रचनाएँ
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गीतों में-
दिन बंजारे
संकलन में-
चाँद
ने फिर से
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दिन बंजारे
पंथ अकेला दूर किनारा
नजर हमारी तुम्हें निहारे
फिर से आये
दिन बंजारे ।।
नभ के तारे मुझे पुकारे
कैसे जाऊँ बिना तुम्हारे
फिर से आये
दिन बंजारे ।।
दिन यूँ निखरे पल यूँ गुजरे
दूर चले तुम ले कल सारे
फिर से आये
दिन बंजारे ।।
चन्दा अखरे पछुआ अखरे
सारे उत्सव नयन तुम्हारे
फिर से आये
दिन बंजारे ।।
फिर आओगे मिल जाओगे
फिर मै हारा सपने हारे
फिर से आये
दिन बंजारे ।।
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