अनुभूति में सुदीप
शुक्ल की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
छवि
ग्राम चैतन्य
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छवि
छवि
जिसने दी तुम्हें
उस चितेरे को नमन
नयन
जैसे झील में हँसते सितारे
अधर
जैसे नदी के भीगे किनारे
लट
जैसे मेघों का अनुपम चमन
मुख
पे सुशोभित दृग खंजन नयन
रूप
जैसे बदली में खिलता सुमन
साँसें
जैसे सुमधुर बहता पवन
कमल के सदृश
वो सुंदर सी काया
भरी तेरे अंदर
दया और माया
यौवन
जैसे पुष्पों में भरी मकरंद
वो दर्पण सा हृदय
वो स्वर्णिम सृजन।
छवि
जिसने दी तुम्हें
उस चितेरे को नमन।
९ मार्च २००५
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