अनुभूति में शुभम
की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
अस्तित्व
कलम
पता नहीं क्यों
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कलम
हर किसी के मन में है
कुछ न कुछ पाने की ख्वाहिश
कोई तकदीर से और
किसी से तकदीर कर रही आजमाइश
चाहतें और यादें कहाँ होती हैं दुनिया में
आसानी से पूरी
सपने साकार न हो तो
जिन्दगी है अधूरी
मैं भी कामयाबी और शोहरत की बुलंदियाँ
छूना चाहता हूँ जिन्दगी अपने अंदाज से
जीना चाहता हूँ
मेरे जाने पे कोई रोए न रोए
कोई बात नहीं
याद करे ये दुनिया
कुछ ऐसा कर जाऊँ
कलम तोड़ कर रख दूँ
मैं जब भी कलम उठाऊँ
कलम की नोक से
कलम का धनी बन जाऊँ
१ फरवरी २००३ |