अनुभूति में राजेश
कुमार वर्मा की रचनाएँ—
छंदमुक्त में-
कुछ
तुम चलो कुछ हम चलें
ये दिल माँगे दोस्ती और प्यार
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कुछ तुम चलो कुछ हम चलें
कुछ तुम चलो कुछ हम चले
कुछ तुम कहो कुछ हम कहे
आगे बढ़के हाथ मिलाए
एक–दूसरे को गले लगाए
इन दूरियों को चलो मिटाए
जो बीत गया उसे भुला दे
जो आने वाला है उसे याद करे
आज़ादी से पहले हम एक थे
आज़ादी के बाद हम अलग हो गए
विदेशी ताकतों के चक्कर में
. . .वर्ष हम अलग रहे
कुछ कष्ट तुमने हमें दिए
कुछ कष्ट हमने तुम्हें दिए
लेकिन दोनों ही लोग
सुख–चैन न पा सके
इसीलिए कुछ तुम चलो
कुछ हम चले . . .
कुछ तुम कहो कुछ हम कहे
आओ आगे बढ़के हाथ मिलाएँ
एक दूसरे को गले लगाएँ
९ मई २००६
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