अनुभूति
में अंबिका भट्ट की कविताएँ-
क्यों हर वक्त
आधा सा अँधेरा
वक्त को
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वक्त को
वक्त
को
वक्त को ढूँढता हूँ
वह मिलता नहीं मुझे
साँसों की उलझी हुई सी धुन में
मैं खोजता जाता हूँ
कुछ है जो मैं जानता नहीं
पहचानता नहीं
फिर भी यही आस लिये
चल रहा हूँ
शायद कभी
कहीं
वह एक रौशनी की किरन
मुझे मिलेगी
शायद वह दिन आज ही हो
शायद ना
मैं बैठा यही
सोचता हूँ
और उलझे हुए ख़याल
सुलझाता रहता हूँ
१५
दिसंबर २०११
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