तुषार
जोशी
नागपुर के तुषार जोशी ज़्यादातर
मराठी में लिखते हैं पर उन्हें हिंदी से भी लगाव है। उनकी हिंदी
कविताएँ उनके चिट्ठे
शब्दचित्र पर
पढ़ी जा सकती हैं और मराठी कविताएँ ऑरकुट पर। इसके अतिरिक्त
उन्हें कंप्यूटर प्रोग्रामिंग, ऑरीगेमी तथा स्मृति तकनीकें सीखते
रहना पसंद है।
ईमेल-
tusharvjoshi@hotmail.com |
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तुषार
जोशी के पाँच मुक्तक
(तीन मुक्तक प्रेम के)
तुम्हारी हाँ
तुम्हारी हाँ अंगूठी बन
के उँगली में समा गई है
चिढ़ाना सारे मित्रों का ठिठोली मुझको भा गई है
मुझे रोमांच देता है
मुझे वो सब लगे प्यारा
जहाँ से ज़िक्र तुम्हारा और
तुम्हारी याद आ गई है
तुम्हें देखा
तुम्हें देखा तभी सोचा
बहुत कुछ पा लिया मैंने
तुम्हें अपना बनाऊँगा
इरादा झट किया मैंने
जो मेरा था लड़कपन से
जो मेरा रह नहीं पाया
जो इतने दिन सम्हाला था
तुम्हें दिल दे दिया मैंने
क्या हुआ मुझको
जो करती थी पसंद मुझको
मुझे बिलकुल नहीं भाती
जिसे मैं ठीक कहता हूँ
वो ना ना कह के है जाती
तुम्हें जब देखने आया
पता ना क्या हुआ मुझको
जिधर देखूँ मुझे तेरी
ही सूरत है नज़र आती
( दो मुक्तक दोस्ती के)
दोस्ती दवा है
है अकेलापन बिमारी
दोस्ती इसकी दवा है
पी गया जो भी इसे वो
ठीक पल भर में हुआ है
इस दवा में ख़ासियत है
आप भी जी भर के पी लो
दोस्त बन जाओ हमारे
ज़िंदगी जी भर के जी लो
मुफ़्त में मिलती है बाबू
बाँटते ना हिचकिचाना
जो मिले बीमार तुमको
खूब जी भर के पिलाना
है अकेलापन बिमारी
दोस्ती इसकी दवा है
पी गया जो भी इसे वो
ठीक पल भर में हुआ है
24 मई 2007
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