सुनील जोगी के चार नए प्रेमगीत
तुम बिन
न तुम भूल पाए न
हम भूल पाए
प्यार के गीत
हम चले तो यूँ लगा
|
|
हम चले तो यूँ
लगा
हम चले तो यूँ लगा धरती चला, अम्बर चला ।
हम रुके तो यूँ लगा राहें रुकीं, लश्कर रुका ।।
आंख हमने बन्द की
सारा जमाना सो गया
हम अकेले क्या हुए
मौसम भी तन्हा हो गया
हम उठे तो यूँ लगा सुबह उठी, बिस्तर उठा ।
हम चले तो यूँ लगा धरती चला, अम्बर चला ।।
हम अगर रोने लगे
तो घर में सावन आ गया
हम हँसे तो धूप निकली
चांद भी शरमा गया
हम खिले तो यूँ लगा कलियाँ खिलीं, बंजर खिला ।
हम चले तो यूँ लगा धरती चला, अम्बर चला ।।
जो अँधेरों से लड़े हैं
रौशनी उनको मिली
दूर थीं कांटों से जो
कलियाँ रहीं वो अनखिली
हम जगे तो यूं लगा पंछी जगे, सूरज जगा ।
हम चले तो यूँ लगा धरती चला, अम्बर चला ।।
कब उन्हें छाया मिली जो
धूप में जलते नहीं
मंज़िलें पाते नहीं हैं
जो कदम चलते नहीं
हम चढ़े शिखरों पे तो ऐसा लगा परबत चढ़ा ।
हम चले तो यूँ लगा धरती चला, अम्बर चला ।।
|