अनुभूति में
रमानाथ अवस्थी की
रचनाएँ -
दोहों में -
जिसे कुछ नहीं चाहिए
कविताओं में -
कभी कभी
चंदन गंध
चुप रहिए
मन
रात की बात
जाना है दूर
संकलन में -
मेरा भारत-
वह आग न जलने देना |
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जिसे कुछ नहीं
चाहिए
जिसे नहीं कुछ चाहिए, वही बड़ा
धनवान।
लेकिन धन से भी बड़ा, दुनिया में इन्सान।
चारों तरफ़ मची यहाँ भारी
रेलमपेल।
चोर उचक्के खुश बहुत, सज्जन काटें जेल।
मतलब की सब दोस्ती देख लिया सौ
बार।
काम बनाकर हो गया, जिगरी दोस्त फ़रार।
तेरे करने से नहीं, होगा बेड़ा
पार।
करने वाला तो यहाँ, हैं केवल करतार।
कर सकते हो तो करो, आत्मा से
अनुराग।
यही सीख देता हमें, गौतम का गृह-त्याग।
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