अयोध्यासिंह
उपाध्याय 'हरिऔध'
जन्म :
१५ अप्रैल १८६५ को आजमगढ़ के निजामाबाद कस्बे में।
शिक्षा :
स्वाध्याय द्वारा हिंदी, संस्कृत, बंगला, पंजाबी तथा फारसी का
ज्ञान।
कार्यक्षेत्र :
खड़ी बोली के प्रथम महाकाव्यकार हरिऔध जी का सृजनकाल हिन्दी के
तीन युगों में विस्तृत है भारतेन्दु युग, द्विवेदी युग और
छायावादी युग। इसीलिये हिन्दी कविता के विकास में 'हरिऔध' जी की
भूमिका नींव के पत्थर के समान है। उन्होंने संस्कृत छंदों का
हिन्दी में सफल प्रयोग किया है।
'प्रियप्रवास' की रचना संस्कृत वर्णवृत्त में करके जहां उन्होंने
खड़ी बोली को पहला महाकाव्य दिया, वहीं आम हिन्दुस्तानी बोलचाल
में 'चोखे चौपदे' , तथा 'चुभते चौपदे' रचकर उर्दू जुबान की
मुहावरेदारी की शक्ति भी रेखांकित की।
कविता के अतिरिक्त आलोचना और बाल साहित्य में भी उनका उल्लेखनीय
योगदान है।
प्रमुख कृतियाँ :
(कविता) प्रियप्रवास, वैदेही वनवास, रस कलश, प्रेमाम्बु प्रवाह,
चोखे चौपदे, चुभते चौपदे आदि।
निधन : १६ मार्च
१९४७
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अनुभूति में
अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' की
रचनाएँ-
कविताओं में
आँख का आँसू
एक बूँद
कर्मवीर
बादल
संध्या
सरिता
छोटी कविताओं में
निर्मम संसार
मतवाली ममता
फूल
विवशता
प्यासी आँखें
आँसू और आँखें
दोहों में
जन्मभूमि
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