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पतझर में
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फिलिप्स का रेडियो
फोटोग्राफ़ में
बड़ा काम
बोध
माया
मैं
राख
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गुच्छे भर अमलतास - ग्रीष्म
सनटैन लोशन
१५ मई
पिता की तस्वीर - डाक

 

जाने से पहले

कितनी दूरियाँ नज़दीक का पता खो गईँ
मैं समय का फ़ीता पकड़े रहा कि सब कुछ
नपा सीधा रहे गुज़र बसर में

गुमसुम बैठा देर हुई
बहुत देर - समाप्त होने को यह बरस भी
हमेशा की तरह छोड़ता सर्दियों के बीच मुझे

उचका अचानक वह खँखारते पेड़ों के बीच
बदली नम हवा ने दिशा -
गंध उथले समुंदर की
जैसे मैं जागा किसी सपने में एक पतझर लाल पीला

१ दिसंबर २०२३

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