अनुभूति में
विक्रम पुरोहित की रचनाएँ-
छंदमुक्त
में-
औघड़
कविता बचती है
खामोशी
दो कबूतर
बचपन
छोटी कविताओं
में-
पाँच छोटी कविताएँ |
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औघड़
आस्था के
अगाध प्रवाह का साक्षी,
भभूतिया बदन
बिंबित करता प्रेम
कमल का कीचड़ से
झरनो का पहाड़ो से
हंसो का नदिया से !
क्षिप्रा-सा शांत अंतस
निमग्न अपने ही
धुन की धुकधुकी मे !
नहीं चाहता,
माया से निर्लिप्त
शून्य-सा चित
समेटना काया को
लिप्सा- अभीप्सा
दृष्ट-अदृष्ट
के फेर मे !
ज्ञात ही तो हैं
उस औघड़ को
काल-दर्शन का महासूत्र
इक ॐकार.......!
२ जनवरी २०११ |