मजदूर की दीवाली
सुना है माँ
आज की रात
तेरे स्वागत में
दिया जलाने से
तेरे आगमन का
मार्ग प्रशस्त होता है
पर क्या करूँ
दिन भर
हाड़ माँस तोड़ कर
जो भी तेल
जुटा पाता हूँ
वह
तेरे भेजे हुए
पाँच पेटों के
दियों को
टिमटिमाने की
स्थिति में
बनाए रखने में ही
चुक जाता है
इसी लिए
चाहकर भी
मैं तेरे आगमन का
मार्ग प्रशस्त नहीं
कर पा रहा हूँ।
१ अप्रैल २००५
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