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अनुभूति में डॉ. शिवदेव मन्हास  की रचनाएँ -

तीन प्रेम कविताएँ-
चुप्पी में जादू
प्रेम केवल खामोशी
ये मेरी उँगलियाँ

 

प्रेम केवल खामोशी

प्रेम
केवल खामोशी की ही भाषा जानता है
उसकी सारी ध्वनियाँ,
सारे शब्द,
सारे वाक्य
चुप्पी से शुरू होते हैं
और चुप्पी पर जाकर समाप्त हो जाते हैं।
जैसे-जैसे कोई
प्रेम के रंग में रंगता जाता है,
शांत होता जाता है।
इसलिए
जब भी आपको कोई मिल जाए
खामोश अथवा शांत
तो उसे
बिना किसी संशय के
प्रेमी जान लें।

1 फरवरी 2007

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