अनुभूति में
सतीश सागर की
रचनाएँ -
छंदमुक्त में-
घाव
परिश्रम
समुद्र
सही सोच
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घाव
हरी घास पर बैठना
हमें अच्छा लगता है
लेकिन
ऐसा क्यों होता है
कि
जब भी हम घास पर बैठते हैं
घास आराम देने की बजाय
चुभने लगती है
हम इसके खिलाफ
न्याय की माँग करते हैं
उनकी ओर से
जाँच होती है
और वक्तव्य प्रकाशित
कर दिया जाता है
कि
उन्हें यानी हमें
बैठने का तरीका ही
नहीं मालूम
संभव है, ये घास पर
न बैठकर काँटेदार
झाड़ियों पर बैठ जाते हैं
और भविष्य में ऐसा
न करने की
चेतावनी दे दी जाती है
लेकिन एक प्रश्न
कौंधता रहता है दिमाग में
कि
जब हम बैठते हैं
तो घास झाड़ी में बदल जाती है
और जब वे बैठते हैं
तो झाड़ी घास में
आखिर यह
कैसे हो जाता है!
१ दिसंबर २०१४
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