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अतिथि
घर आए जब भी अतिथि, देना ये सुख चार ।
आसन, जल, वाणी मधुर, यथाशक्ति आहार ।।- हंस दोहा
समझ अतिथि देवोभव:, देख सदैव प्रभाव ।
स्वागत अरु सत्कार से, बनता नम्र स्वभाव ।।- गयंद दोहा
अतिथि सदा परिवार की, रखता है पहचान ।
जाने कब किस मोड़ पर, बन जाए भगवान ।।- पयोधर दोहा
अतिथि और रिश्ते सदा, देखें प्रेम स्वभाव ।
नहीं नम्रता के बिना, दिखता है सद्भाव ।।- मर्कट दोहा
अतिथि रहो बस चार दिन, फिर कैसा सत्कार ।
ब्याह बाद बारात से, ज्यों रूखा व्यवहार ।।- नर दोहा
१ फरवरी २०२४ |