अनुभूति में
बद्रीनारायण
की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
कौन रोक सकता है
दिल्ली जाना है
पहाड़ की चढ़ाई
माँ का गीत
राष्ट्रीय कवि
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कौन रोक सकता है
यूँ तो शक्ति के होते हैं अनेक रूप
दुर्गा, काली, दिल्ली की राजगद्दी आदि आदि
पर स्वप्न देखना भी एक शक्ति है
मैं सपने में कुछ भी देख सकता हूँ
सपने में देख सकता हूँ बीच रेगिस्तान में भीगे साँबे का खेत
बीच नगर में धनकी बाग सृजित कर सकता हूँ
जंजीरे हों, तलवार या कोई तानाशाह
संगम पर टहलते हुए क्या कोई मुझे रोक सकता है
ठोरा नहीं हो याद आने से
मैं यहाँ कीलों ओर काँटों से ठुके होने के बावजूद
कभी-कभी अपनी कल्पना में उड़कर
अपने गाँव जा सकता हूँ
मिल सकता हूँ वहाँ हरी कचरी से
अब आपको कैसे समझाऊँ कि
सपने, कल्पनाएँ और याद
इस मरुभूमि में
जीने के सबसे कारगर संसाधन हो सकते हैं
इसीलिए मैं इनके बारे में
चिंतित रहता हूँ।
२९ जुलाई २०१३
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