अनुभूति में अमिताभ
सक्सेना की रचनाएँ—
छंदमुक्त में—
उम्मीदवार
मुजरिम
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उम्मीदवार
उम्मीदवार
घर घर भटकता
वोट माँगता
कहता फिरता
लिप्त है सरकार
भ्रष्टाचार में,
लोभ में,
संसाधनों के दुरूपयोग में।
लड़ रहा क्या चुनाव,
इन बुराइयों से
लड़ने के लिए?
कहाँ भई
उम्मीदवार बना
यह तो,
खुद इस तंत्र में
शामिल होने के लिए
९ सितंबर २००४ |