श्मशान
कंक्रीटों के जंगल में
गूँज उठते हैं सायरन
शुरू हो जाता है
बुलडोज़रों का तांडव
खाकी वर्दियों के बीच
दहशतज़दा लोग
निहारते हैं याचक मुद्रा में
और दुहाई देते हैं
जीवन भर की कमाई का
बच्चों के भविष्य का
पर नहीं सुनता कोई उनकी
ठीक वैसे ही
जैसे श्मशान में
चैनलों पर लाइव कवरेज होता है
लोगों की गृहस्थियों के
श्मशान में बदलने का।
१२ मई २००८ |