अनुभूति में
वीरेन्द्र कुँवर
की रचनाएँ-
अंजुमन में-
पत्थरों को फूल लिक्खूँ
ये माना बिन खुशामद
वहाँ अधिकार की बातों की चर्चा
हाथ से
मुंसिफ के |
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वहाँ अधिकार की
बातों की चर्चा
वहाँ अधिकार की बातों की चर्चा इक
कहानी है
विरासत में जहाँ सब को मिली बूढ़ी जवानी है।
यही तो देश की बिगड़ी व्यवस्था की निशानी है
बरसते हैं वहाँ बादल जहाँ खेतों में पानी है।
हमारे गाँव की सड़कें भी पगडंडी से बदतर हैं
वहाँ गलियाँ भी पिच दिखतीं जहाँ पर राजधानी है।
हमारे वास्ते तो रात भी ठंडी नहीं होती
तुम्हारे जल-महल की दोपहर भी कितनी सुहानी है।
बहुत खुश आप हैं उनकी चुनावी घोषणाओं से
हमें मालूम है उनका हर इक वादा जुबानी है।
१५ जुलाई २०१३ |